पंचलाइट कहानी का सारांश क्या है? - panchalait kahaanee ka saaraansh kya hai?

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जैसा कि आपने पूछा पंचलाइट अथवा बहादुर कहानी का सारांश लिखिए तक वाले पंचलाइट का सारांश या कहानी बिहार के ग्रामीण परिवेश के इर्द-गिर्द घूमती है गांव में एक युवक गौतम का मंदिर नामक लड़की से प्रेम जिससे नाराज होकर पंचायत में उसका बहिष्कार कर रखा एक दिन मेले से गांव वाले सर्वजनिक उपयोग के लिए पेट्रोमैक्स जिसे वहां के लोग अंकिता पंचलाइट पंचलाइट कहते हैं खरीद कर लाते हैं सभी उत्साह में यह लेकिन तभी पता चलता है कि से जलाना तो किसी को आता ही नहीं गांव वालों की भोलापन और पेट्रोमैक्स जिला ना आने कारण राशि की स्थिति पैदा हो गई दूसरे गांव के लोग उपहास करने लगे तब मुनरी अपनी सहेली के माध्यम से पंचों ने कहलाती है कि गोधन को आता है पंचायत जिला ना अपन लोग दूसरे गांव से पद लाइट जलाने के लिए किसी को बुलाने की विधि से बचने के लिए अंतर गौतम को माफ कर देते हैं और उसका हुक्का पानी बाहर कर दिया जाता है और उसका शर्मा का गाना गाने की छुट्टी मिल जाती है धन्यवाद

jaisa ki aapne poocha punchlight athva bahadur kahani ka saransh likhiye tak waale punchlight ka saransh ya kahani bihar ke gramin parivesh ke ird gird ghoomti hai gaon me ek yuvak gautam ka mandir namak ladki se prem jisse naaraj hokar panchayat me uska bahishkar kar rakha ek din mele se gaon waale sarvajanik upyog ke liye petromaiks jise wahan ke log ankita punchlight punchlight kehte hain kharid kar laate hain sabhi utsaah me yah lekin tabhi pata chalta hai ki se jalaana toh kisi ko aata hi nahi gaon walon ki bholapan aur petromaiks jila na aane karan rashi ki sthiti paida ho gayi dusre gaon ke log upahas karne lage tab munri apni saheli ke madhyam se panchon ne kahalati hai ki godhan ko aata hai panchayat jila na apan log dusre gaon se pad light jalane ke liye kisi ko bulane ki vidhi se bachne ke liye antar gautam ko maaf kar dete hain aur uska hukka paani bahar kar diya jata hai aur uska sharma ka gaana gaane ki chhutti mil jaati hai dhanyavad

जैसा कि आपने पूछा पंचलाइट अथवा बहादुर कहानी का सारांश लिखिए तक वाले पंचलाइट का सारांश या क

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पंचलाइट कहानी का सारांश क्या है? - panchalait kahaanee ka saaraansh kya hai?
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गाँव में निवास करने वाली विभिन्न जातियाँ भिन्न-भिन्न टोली बनाकर रहती हैं। उन्हीं में से एक है-महतो टोली। महतो टोली के पंचों ने पिछले पन्द्रह महीने से दण्ड-जुर्माने की जमा राशि से रामनवमी के मेले से इस बार पंचलाइट खरीदी। पंचलाइट खरीदने के पश्चात् बचे दस रुपए से पूजा की सामग्री भी खरीदी जाती है। मेले से पंचलाइट की खरीदारी के बाद सभी खरीदार पंच गाँव की ओर लौटे, जिनमें सबसे आगे अगनू महतो पंचलाइट का डिब्बा माथे पर लेकर आ रहा था और उसके पीछे-पीछे सरदार, दीवान और पंच लोग थे। पंचलाइट देखने के लिए टोली के सभी बच्चे, औरतें एवं मर्द एकत्रित हो चुके थे और सरदार ने अपनी पत्नी को पंचलाइट की पूजा-पाठ का प्रबन्ध करने के लिए कहा।

महतो टोली में उत्साहपूर्ण वातावरण

गाँव में पंचलाइट आते ही बच्चे, औरतें और अन्य सभी लोग उत्साहित होते हैं। गाँव की पंचायत का छड़ीदार अगनू महतो सभी लोगों को पंचलाइट से दूर रहने
की चेतावनी देता है कहीं अधिक उत्साहित लोग पंचलाइट को किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुँचा दें। पंचलैट आने की खुशी में औरतों की मण्डली में गुलरी काकी गोसाई का गीत गुनगुनाने लगती हैं तो छोटे-छोटे बच्चे उत्साह के कारण हुड़दंग करना शुरू करने लगते हैं। टोलीभर के लोग सरदार के दरवाजे पर आकर पंचलैट-पंचलैट की रट लगाने लगते हैं। इस प्रकार पूरी महतो टोली का वातावरण उत्साह से भरा हुआ था।

पंचलैट को जलाने की समस्या

महतो टोली के सभी लोग ‘पंचलैट’ के आने से अत्यधिक उत्साहित हैं, लेकिन उनके सामने एक बड़ी समस्या यह आ जाती है कि पंचलैट जलाएगा कौन? क्योंकि किसी भी व्यक्ति को ‘पंचलैट’ जलाना नहीं आता था। महतो टोली के किसी भी घर में अभी तक ढिबरी नहीं जलाई गई थी, क्योंकि सभी पंचलैट की रोशनी को ही सभी ओर फैला हुआ देखना चाहते हैं। पंचलैट के न जलने से सभी के चेहरे उतर जाते हैं। पंचलैट न जलने की खबर सुनकर राजपूत टोली के लोग ब्राह्मण टोली का मज़ाक बनाने लगते हैं। इसके बावजूद, पंचों ने तय किया कि दूसरी टोली के व्यक्ति की मदद से पंचलैट नहीं जलाई जाएगी, चाहे वह बिना जले ही पड़ी रहे।

पंचलैट जलाने के लिए गोधन को बुलवाना

लरी काकी की बेटी मुनरी, गोधन से प्रेम करती थी और उसे पता था कि गोधन को पंचलैट जलाना आता है, लेकिन पंचायत ने गोधन का हक्का-पानी बन्द कर रखा था, क्योंकि गोधन रोज मुनरी को देखकर ।’सलम-सलम’ वाला सलीमा का गीत गाता था, परन्तु आज गोधन की। आवश्यकता महतो टोली के लोगों को पड़ गई थी। इसी आवश्यकता को जानते हुए मुनरी ने अपनी सहेली कनेली द्वारा सरदार तक यह सूचना पहुँचा दी कि गोधन ‘पंचलैट’ जलाना जानता है। सभी पंच सोच-विचार कर अन्त में यह निर्णय लेते हैं कि गोधन को बुलाकर उसी से ‘पंचलैट’ । जलवाई जाए, क्योंकि यह टोली की इज्ज़त व प्रतिष्ठा का सवाल है। अत: सरदार द्वारा गोधन को बुलवाने का आदेश दिया जाता है।

गोधन द्वारा ‘पंचलैट’ जलाना

सरदार द्वारा गोधन को बुलाने के लिए छड़ीदार को भेजा जाता है, परन्तु वह नहीं आता। तत्पश्चात् गुलरी काकी गोधन को मनाने जाती हैं तो वह मान जाता है और पंचलैट जलाने के लिए तैयार हो जाता है। सर्वप्रथम वह पंचलैट में तेल भरता है और पंचलैट जलाने के लिए स्पिरिट माँगता।

है, परन्तु पंच स्पिरिट खरीदना ही भूल जाते हैं। अब स्पिरिट न होने पर एक बार फिर टोली के लोगों के चेहरे मुरझा जाते हैं। गोधन होशियार लड़का है, वह स्पिरिट न होने पर गरी अर्थात् नारियल के तेल से ही पंचलैट जलाने का प्रयास करता है और धीरे-धीरे पंचलैट जलने लगती है, पंचलैट की रोशनी से सारी टोली जगमगा उठती है, जिसे देख सभी के चेहरे खिल उठते हैं। कीर्तन-मण्डली के लोग एक स्वर में महावीर स्वामी की जय ध्वनि करते हुए कीर्तन शुरू कर देते हैं। इस प्रकार पंचलैट जलाकर गोधन सबका दिल जीत
लेता है।

पंचों द्वारा गोधन को माफ़ करना

गोधन ने जिस होशियारी से ‘पंचलैट‘ को जला दिया था, उससे सभी प्रभावित होते हैं। गोधन के प्रति सभी लोगों के दिल का मैल दूर हो जाता है। मुनरी बड़ी हसरत भरी निगाहों से गोधन को देखती है। सरदार गोधन को बड़े प्यार से अपने पास बुलाकर कहता है कि-“तुमने जाति की इज्जत रखी है। तुम्हारा सात खून माफ़। खूब गाओ सलीमा का गाना। अन्त में गुलरी काकी गोधन को रात के खाने पर निमन्त्रित करती है। गोधन ने एक बार फिर से मुनरी की ओर देखा और नज़र मिलते ही लज्जा से मुनरी की पलकें झुक जाती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

निर्देश नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार, कहानी सम्बन्धी प्रश्न के अन्तर्गत पठित कहानी से चरित्र-चित्रण, कहानी के तत्व एवं तथ्यों पर आधारित दो प्रश्न दिए जाएंगे, जिनमें से किसी एक प्रश्न का उत्तर देना होगा, इसके लिए 4 अंक निर्धारित हैं।

1 ‘पंचलाइट’ कहानी की समीक्षा कहानी के तत्त्वों के आधार पर कीजिए।

अथवा ‘पंचलाइट’ कहानी की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।

अथवा ‘पंचलाइट’ कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।

अथवा ‘पंचलाइट’ कहानी की विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर ‘पंचलाइट’ फणीश्वरनाथ रेणु की आँचलिक कहानी है। यह कहानी ग्रामीण जीवन पर आधारित है। ग्रामीण आँचल के जीवन से सम्बन्धित इस कहानी के माध्यम से गाँव की रूढ़िवादिता, सरलता एवं अज्ञानता के बारे में स्पष्ट संकेत मिलता है। इसमें आँचलिक परिवेश के आधार पर पात्रों का चरित्र-चित्रण किया गया है। कहानी के तत्त्वों के आधार पर ‘पंचलाइट’ कहानी की समीक्षा निम्नलिखित है

(i) कथानक कथावस्तु ‘पंचलाइट’ कहानी घटना प्रधान है। कहानी का आरम्भ महतो टोली के पंचों द्वारा पंचलाइट की खरीदारी से होता है। पंचलाइट की खरीदारी के पश्चात उसे जलाने की समस्या गाँव के लोगों के समक्ष उत्पन्न होती है। गाँव वालों द्वारा गोधन की खोज करना तथा गोधन का वापस गाँव आना कहानी का विकास है। गोधन द्वारा पंचलाइट जलाना व गाँव में खुशहाली का माहौल बन जाना तथा पंचायत द्वारा गोधन को माफ़ी देना कहानी का ‘अन्त’ चरण है। अत: कथानक की. दृष्टि से यह कहानी पूर्ण रूप से सफल है। इस कहानी की कथावस्तु स्वाभाविक, सहज, सजीव, कौतूहलवर्द्धक, गतिशील एवं मार्मिक बन पड़ी है। इसके अतिरिक्त कथानक में सरलता, रोचकता, संक्षिप्तता, मनोवैज्ञानिकता यथार्थता। स्वाभाविकता व आँचलिकता आदि अनेक विशेषताओं का समावेश है।।

(ii) पात्र तथा चरित्र-चित्रण प्रस्तुत कहानी चूँकि आंचलिक कहानी है। अतः इस कहानी के केन्द्र में अंचल-विशेष या क्षेत्र-विशेष है, कोई पात्र या चरित्र केन्द्र में नहीं है। इसके बावजूद, ‘पंचलाइट’ कहानी का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख पात्र गोधन है। कहानीकार ने कुछ पात्रों के चरित्रों को उभारने की कोशिश की है। प्रस्तुत कहानी में सरदार, दीवान, मुनरी की माँ, गुलरी
काकी, फूटंगी झा आदि एक वर्ग के पात्र हैं, जबकि गोधन, मुनरी दूसरे वर्ग। के कहानी के सभी पात्र जीवन्त प्रतीत होते हैं। उनके माध्यम से ग्रामवासियों की मनोवृत्तियों का परिचय बड़े ही यथार्थ रूप में प्राप्त होता है। लेखक को ग्रामीण समूह के चरित्र को उभारने में विशेष सफलता मिली है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि ‘रेणु’ जी ने अपने पात्रों के माध्यम से ग्रामांचल का सजीव चित्रण किया है। साथ-ही-साथ लेखक ने ग्रामवासियों की मनोवृत्तियों का परिचय बड़े सजीव, स्वाभाविक, मनोवैज्ञानिक और यथार्थ रूप में दिया है।

(ii) कथोपकथन/संवाद ‘पंचलाइट’ कहानी में लेखक ने कथोपकथन या संवादों का प्रयोग पर्याप्त मात्रा में किया है। इस कहानी के संवाद सरल, स्पष्ट, संक्षिप्त, रोचक, आकर्षक, स्वाभाविक, सजीव, गतिशील और पात्रानुकूल हैं। इसके
संवाद कथा का विकास, पात्रों के चरित्र और उद्देश्य की अभिव्यक्ति में अहम् भूमिका निभाते हैं। संवादों के माध्यम से बिहार के ग्रामीण अंचल की भाषा का प्रयोग, ग्रामीण जीवन की अशिक्षा, रूढ़िवादिता, अज्ञानता पर प्रकाश डालकर जीवन्त वातावरण निर्मित किया गया है; जैसे-मुनरी ने चालाकी से अपनी सहेली कनेली के कान में बात डाल दी,-‘कनेली!…. चिगों, चिध ऽऽ
चिन….’ कनेली मुस्कुराकर रह गई-गोधन तो बन्द है।’ मुनरी बोली ‘तू कह तो सरदार से। गोधन जानता है ‘पंचलाइट’ बालना।’ कनेली बोली, ‘कौन, गोधन? जानता है बालना? लेकिन…।’ इस प्रकार इस कहानी के संवाद पात्र एवं परिस्थिति के अनुकूल हैं। कथाकार ने उनका चरित्र-चित्रण मनोवैज्ञानिक आधार पर किया है।

(iv) भाषा-शैली ‘पंचलाइट’ कहानी की भाषा बिहार के ग्रामीण अंचलों में बोली जाने वाली जन भाषा है। यह सरल, स्पष्ट, रोचक, स्वाभाविक, सजीव और । आकर्षक है। गाँवों में प्रचलित विकृत शब्द रत का प्रयोग एक ओर वातावरण को यथार्थ बनाता है, तो दूसरी ओर हास्य-व्यंग्य के प्रयोजन की भी पूर्ति करता है। जैसे-पुन्याह, मूलगैन, भगतिया, बैकाट, पच्छक, पम्पू, सलीमा
आदि। इस कहानी में ग्रामीण मुहावरों के प्रयोग से कथा की प्रभाव-वृद्धि में । योगदान दिया गया है। जैसे-नेमटेम, डेड-बेद, धरखेल आदि। इस कहानी की शैली भाषा की तरह ही व्यावहारिक व भावानुकूल है। लेखक ने इस कहानी में संवादात्मक, चित्रात्मक और व्यंग्यात्मक शैलियों का प्रयोग सहजता से किया।

है। इस कहानी की शैलीगत विशेषताओं में स्वाभाविकता, सजीवता एवं प्रभावशीलता के गुण विद्यमान हैं। व्यंग्यात्मक शैली का एक उदाहरण जो कथा को जीवन्त बनाता है
“एक नौजवान ने आकर सूचना दी-राजपूत टोली के लोग हँसते-हँसते पागल हो रहे हैं। कहते हैं, कान पकड़कर ‘पंचलैट’ के सामने पाँच बार उठो-बैठो, तुरन्त जलने लगेगा।” इस प्रकार कहा जा सकता है कि पंचलाइट’ कहानी भाषा-शैली की दृष्टि से सफल कहानी है।

(v) देशकाल और वातावरण रेणुजी की कहानी ग्रामीण परिवेश की
आँचलिक कहानी है। इस कहानी के देशकाल और वातावरण की
सजीवता पाठकों को सहजता से अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। उन्होंने इस कहानी में पेट्रोमैक्स, जिसे गाँव वाले ‘पंचलैट’ कहते हैं, के माध्यम से ग्रामीण वातावरण का चित्रण करते हुए ग्रामवासियों के मनोविज्ञान की वास्तविक झलक प्रस्तुत की है। यद्यपि इस कहानी में वातावरण का वर्णन नहीं किया गया है तथापि घटनाओं और पात्रों के माध्यम से वातावरण स्वयं जीवन्त हो उठता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि ‘पंचलाइट’ कहानी देशकाल और वातावरण की दृष्टि से एक श्रेष्ठ कहानी है।

(vi) उद्देश्य प्रस्तुत कहानी में रेणुजी ने ग्राम सुधार की प्रेरणा दी है। इसके साथ-साथ, यह भी सन्देश दिया है कि आवश्यकता बड़े-से-बड़े संस्कार और निषेध को अनावश्यक सिद्ध कर देती है। इसी केन्द्रीय भाव के आधार पर कहानी के माध्यम से एक महत्त्वपूर्ण उददेश्य को स्पष्ट किया गया है। गोधन द्वारा पेट्रोमैक्स जला देने पर उसकी सब गलतियाँ माफ कर दी जाती हैं। उस पर लगे सारे प्रतिबन्ध हटा दिए जाते हैं। अतः। कहानी के उददेश्य या सन्देश के माध्यम से यह कहानी सफल है।

(vii) शीर्षक ‘पंचलाइट’ कहानी का शीर्षक अत्यन्त संक्षिप्त और आकर्षक है। पंचलाइट’ शीर्षक की दृष्टि से यह एक उच्च स्तरीय कथा है, जिसमें एक घटना के माध्यम से सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ते हुए दिखाया गया। है। पंचलाइट शीर्षक कहानी के भाव, उद्देश्य और विषय-वस्तु की दृष्टि से पूर्णतः सार्थक है। सम्पूर्ण कहानी शीर्षक के इर्द-गिर्द घूमती है। इस प्रकार यह कहानी शीर्षक की दृष्टि से सफल कहानी है।

2 पंचलाइट’ कहानी के आधार पर ‘गोधन’ का चरित्र-चित्रण
कीजिए।

अथवा ‘पंचलाइट’ कहानी का प्रमुख पात्र कौन है? उसका चरित्रांकन कीजिए।

उत्तर रेणुजी की आँचलिक कहानी ‘पंचलाइट’ में ग्रामवासियों की मन:स्थिति की वास्तविक झलक दिखती है। इस कहानी का प्रमुख पात्र ‘गोधन’ है, जिसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ उल्लेखनीय हैं।
(i) युवक की स्वाभाविक प्रवृत्ति गोधन युवा है। अत: उसके व्यक्तित्व में युवा वर्ग की कुछ स्वाभाविक प्रवृत्तियाँ निहित हैं। वह मनचला एवं लापरवाह युवक है। वह फिल्मी गाने गाता है। मुनरी से प्रेम करता है और बाहर से आकर बसने के बावजूद पंचों के खर्च के लिए उन्हें कुछ देता नहीं है। यह कहना अधिक उचित होगा कि वह एक अल्हड़ ग्रामीण युवा है।

(ii) गुणवान व्यक्तित्व गोधन अशिक्षित है, लेकिन उसमें गुणों की कमी नहीं है। वह पूरे महतो टोली में एकमात्र ऐसा व्यक्ति है, जो पेट्रोमैक्स जलाना जानता है। वह अत्यन्त चतुर भी है। वह अपनी इस विशेषता को मुनरी को बता देता है, जो इसे सरदार तक पहुँचा देती है। गोधन इतना काबिल है कि वह बिना स्पिरिट के ही गरी अर्थात् नारियल के तेल से पेट्रोमैक्स जला देता है। इससे उसकी बौद्धिकता का भी पता चलता है।।

(iii) स्वाभिमानी गोधन स्वाभिमानी है, इसलिए हुक्का-पानी बन्द करने के बाद जब छड़ीदार उसे बुलाने जाता है, तो वह आने से इनकार कर देता है।। हुक्का-पानी बन्द करने को वह अपना अपमान समझता है। जिस गुलरी काकी के कहने पर उसे सज़ा सुनाई गई थी, उन्हीं के मनाने पर वह ‘पंचलैट’ जलाने के लिए आता है।

(iv) अपने समाज की प्रतिष्ठा के प्रति संवेदनशील गोधन अपने समाज की मान-प्रतिष्ठा के प्रति अत्यन्त संवेदनशील है। जिस समाज या पंचायत ने उसका हुक्का-पानी बन्द कर दिया था, उसी समाज की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए वह अपने अपमान को भूल जाता है। बिना स्पिरिट के ही पंचलैट जलाकर वह अपने समाज, जाति एवं पंचायत की मान-प्रतिष्ठा की रक्षा करता है।

(v) निर्भीक व्यक्तित्व गोधन का व्यक्तित्व अत्यन्त निर्भीक है। वह किसी से बिना डरे मुनरी के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त कर देता है। इस प्रकार, कहा जा सकता है कि गोधन का चरित्र ग्रामीण परिवेश में पलने-बढ़ने वाले किसी सामान्य युवा लड़के से मिलता-जुलता होने के साथ-साथ उसमें वह बौद्धिकता
एवं विवेकशीलता भी मौजूद है, जो उसे आधुनिकता की ओर ले जाती है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि गोधन एक स्वाभाविक प्रवृत्ति वाला गुणवान, स्वाभिमानी, संवेदनशील व निर्भीक युवक है।

3 पंचलाइट’ कहानी की प्रमुख स्त्री पात्र ‘मुनरी’ की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तर ‘मुनरी’ पंचलाइट कहानी की प्रमुख स्त्री पात्र है, जो गोधन की आसक्ति से प्रभावित है। ‘रेणु’ ने मनरी के चरित्र का चित्रण बड़े ही सजीव. स्वाभाविक रूप से अपनी कहानी में किया है। इस प्रकार मुनरी के चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(i) लज्जाशील व संकोची मुनरी गाँव में निवास करने वाली साधारण-सी लड़की है। यह बहुत ही लज्जाशील व संकोची प्रवृत्ति की है। जब गाँव में पंचलाइट जलाने की समस्या उत्पन्न होती है, तो मुनरी जानती है कि पंचलाइट जलाना गोधन को आता है, परन्त उसे तो गाँव से निष्कासित किया जा चुका था। सरदार को यह खबर देने में भी वह प्रत्यक्ष रूप से गोधन का नाम नहीं ले पाती है और अपनी सहेली कनेली के माध्यम से सरदार तक इस खबर को पहुँचाती है। इसके अतिरिक्त गोधन द्वारा मनरी की ओर देखे जाने के कारण मुनरी अपनी पलकें झुका लेती है। अत: कहा जाना चाहिए कि मुनरी एक लज्जाशील व संकोची प्रवृत्ति की लड़की है।

(ii) सामाजिक प्रतिष्ठा की हिमायती महतो टोली के लोगों ने यह निर्णय लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन हम यह पंचलाइट किसी अन्य टोली के सदस्य से नहीं जलवाएँगे, क्योंकि यह अपमान की बात होगी। यह सब देखकर मुनरी’ ने अप्रत्यक्ष रूप से गोधन का नाम सबके समक्ष लिया। गोधन ही एक ऐसा व्यक्ति था, जो पंचलाइट जलाना जानता था। इस प्रकार सदस्यों ने गोधन को बुलाने का फैसला लिया और पंचलाइट जलाई गई। पंचलाइट जलना ही सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक था। उपरोक्त बिन्दुओं के आधार पर कहा जा सकता है कि मुनरी एक साधारण
ग्राम युवती है, जो लज्जाशील व संकोची होने के साथ-साथ सामाजिक प्रतिष्ठा की हिमायती भी है।

4 ‘पंचलाइट’ कहानी के उद्देश्य को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ हिन्दी साहित्य जगत् के सुप्रसिद्ध आंचलिक कथाकार हैं। ग्रामीण अंचलों से उनका निकट का परिचय है। बिहार के अंचलों के सजीव चित्र उनकी कथाओं के अलंकार हैं। पंचलाइट भी बिहार के परिवेश की कहानी है। कहानीकार ने ग्रामीण अंचल का वास्तविक चित्र खींचा है। आवश्यकता किस प्रकार बड़े-से-बड़े संस्कार और निषेध को अनावश्यक सिद्ध कर देती है। इसी केन्द्रीय भाव के आधार पर कहानी के माध्यम से एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य को स्पष्ट किया गया है। गोधन द्वारा पेट्रोमैक्स जला देने । पर उसकी सब गलतियाँ माफ़ कर दी जाती हैं। उस पर लगे सारे प्रतिबन्ध हटा लिए जाते हैं तथा उसे मनचाहे आचरण की । छूट दे दी जाती है। ग्रामवासी जाति के आधार पर अनेक टोलियों में बँट जाते। हैं। वह आपस में ईर्ष्या-द्वेष के भावों से भरे रहते हैं, इसका बड़ा सजीव चित्रण। कहानी में प्रस्तुत किया गया है। कहानीकार ने यह स्पष्ट किया है कि इस। आधुनिक युग में अभी भी कुछ गाँव और जातियाँ पिछड़ी हुई हैं। रेणुजी ने अप्रत्यक्ष रूप से ग्राम-सुधार की प्रेरणा भी दी है।

पंचलाइट कहानी का सारांश कैसे लिखें?

संक्षिप्त कथानक यह कहानी बिहार के ग्रामीण परिवेश के गिर्द घूमती है। गाँव के एक युवक गोधन का मुनरी नामक लड़की से प्रेम है जिससे नाराज़ होकर पंचायत ने उसका बहिष्कार कर रखा है। एक दिन मेले से गाँव वाले सार्वजनिक उपयोग के लिये पेट्रोमैक्स (जिसे वहाँ के लोग अंगिका में पंचलाइट या पंचलैट कहते हैं) खरीद कर लाते हैं।

पंचलाइट कहानी क्या शिक्षा देती है स्पष्ट कीजिए?

वह पंचलाइट को स्पिरिट के अभाव में गरी के तेल से ही जला देता है। अब न केवल गोधन पर लगे सारे प्रतिबन्ध हट जाते हैं वरन् उसे मनोनुकूल आचरण की भी छूट मिल जाती है। पंचलाइट की रोशनी में गाँव में उत्सव मनाया जाता है। प्रस्तुत कहानी में कहानीकार ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि आवश्यकता किसी भी बुराई को अनदेखा कर देती है।

पंचलाइट का शाब्दिक अर्थ क्या है?

'पंचलैट' यानी 'पंचलाइट' यानी 'पेट्रोमैक्स'! नहीं मालूम कि बाज़ार की जगर-मगर कौंध के बीच एलईडी बल्ब के प्रकाश में आँखें खोलनेवाली पीढ़ी को 'पेट्रोमैक्स' शब्द का ठीक-ठीक अर्थ भी मालूम है या नहीं, इसलिए यदि कहानी की भाषा ही उधार लूँ, तो 'पंचलाइट' यानी कल कब्जे वाली एक चीज जो रोशनी फैलाती है।

पंचलाइट कहानी का मुख्य पात्र कौन है?

इसके बावजूद 'पंचलाइट' कहानी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं प्रमुख पात्र गोधन है। कहानीकार ने कुछ पात्रों के चरित्रों की रेखाएँ उभारने की कोशिश की है। प्रस्तुत कहानी में सरदार, दीवान, मुनरी की माँ, गुलरी काकी, फुटंगी झा आदि एक वर्ग के पात्र हैं, जबकि गोधन, मुनरी दूसरे वर्ग के। कहानी के सभी पात्र जीवन्त प्रतीत होते हैं।