भारत का महापर्व कौन सा है? - bhaarat ka mahaaparv kaun sa hai?

इस बार छठ पूजा का आरंभ 28 अक्टूबर से हो रहा है. चार दिनों के इस त्योहार को उत्तर भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. वैसे तो छठ अब केवल बिहार का ही प्रसिद्ध लोकपर्व नहीं रह गया है. इसका फैलाव देश-विदेश के उन सभी भागों में हो गया है, जहां इस प्रदेश के लोग जाकर बस गए हैं. इसके बावजूद बहुत बड़ी आबादी इस व्रत की मौलिक बातों से अनजान है. बता दें कि छठ पर्व के अंतिम दिन उगते हुए सूर्य और छठी मैया की पूजा के साथ इस व्रत का विधिवत पारण किया जाता है. आइए जानते हैं छठ पर्व में क्यों की जाती है सूर्य देव और छठी मैया की पूजा.

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महाभारत काल से जुड़े हैं छठ पर्व के तार 

हिन्दू धर्म में भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है क्योंकि सूर्य की उर्जा के कारण ही धरती पर जीवन सुचारु रूप से चल रहा है. लेकिन छठ पर्व में भगवान सूर्य की पूजा क्यों की जाती है, इस प्रश्न का उत्तर महाभारत काल से मिलता है. किवदंतियों के अनुसार दानवीर कर्ण का जन्म भगवान सूर्य देव के वरदान के कारण हुआ था. उन्हीं के आशीर्वाद के कारण उन्हें कवच, कुंडल और वीरता का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था. दानवीर कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे. इसलिए प्रतिदिन वह लम्बे समय तक बिना कुछ खाए-पिए और कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य देव की उपासना करते थे. तभी से अर्घ्य दान के लिए इसी परम्परा का पालन किया जाता है. 

क्यों की जाती है छठी मैया की पूजा

इस व्रत से जुड़ी अनेक मान्यताएं हैं. नहाय-खाय से शुरू होने वाले छठ पर्व के बारे में कहा जाता है कि इसकी शुरुआत महाभारत काल से ही हो गई थी. एक कथा के अनुसार, महाभारत काल में जब पांडव अपना सारा राज-पाट जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने चार दिनों का यह व्रत किया था. इस पर्व पर उन्होंने भगवान सूर्य की उपासना की थी और मनोकामना में अपना राज-पाट वापिस मांगा था. 

कौन हैं छठी मैया

पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है. छठ मैया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही कई जगह इन्हें सूर्य देव की बहन के रूप में भी बताया गया है. इसीलिए लोग सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मैया को प्रसन्न करते हैं. माना जाता है कि माता छठी की उपासना करने से संतान को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है. संतान प्राप्ति के लिए भी माता छठी की उपासना को बहुत कारगर माना गया है.

इस वजह से भगवान सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य

भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं और कई ज्योतिषाचार्य हर दिन सूर्य को अर्घ्य देने का सुझाव देते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि रोजाना सूर्य को अर्घ्य देने से आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. छठ पर्व में इस क्रिया का महत्व और अधिक बढ़ जाता है और व्यक्ति व उसके परिवार पर भगवान सूर्य की कृपा सदैव बनी रहती है. माना यह भी जाता है कि भगवान सूर्य की आराधना करने से मान सम्मान में वृद्धि होती है.

रविवार को छठ महापर्व का तीसरे दिन अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करने विधान है। इसके बाद सोमवार सुबह उदयीमान सूर्य नारायण को अर्घ्य देने के बाद चार दिनों के अनुष्ठान के इस महापर्व का समापन हो जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में छठ महापर्व मनाने की शुरुआत कैसे और कब हुई? दरअसल, इसका इतिहास इतिहास बहुत दिलचस्प है और हर भारतीय को इसके बारे में जानकारी होना भी जरूरी है। तो आइए विस्तार से समझते हैं इसके बारे में…

देश में गुप्त काल से मनाया जा रहा है महापर्व छठ, ये रहा प्रमाण

उल्लेखनीय है कि गुप्त काल से ही छठ महापर्व का त्योहार मनाया जा रहा है। इसका उल्लेख गुप्तकालीन जो सिक्के मिले हैं, उनमें षष्ठीदत्त नाम का सिक्का भी मिलता है। पाणिनी ने जो नामकरण की प्रक्रिया बताई है, उसके अनुसार देवदत्त, ब्रह्मदत्त और षष्ठीदत्त इन शब्दों का अर्थ इस प्रकार लगाया जाता है: देवदत्त का मतलब देवता के आशीर्वाद से जन्म होना, ब्रह्मदत्त का मतलब ब्रह्मा के आशीर्वाद से और षष्ठी देवी के आशीर्वाद से जन्मे हुए पुत्र षष्ठीदत हुए। गुप्त काल में षष्ठीदत नाम का प्रचलन था। इससे प्रमाणित होता है कि छठी मैया की पूजा उस समय भी होती थी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध इतिहास को वासुदेव शरण अग्रवाल ने अपनी पुस्तक पाणिनिकालीन भारतवर्ष में इसका उल्लेख किया है।

ग्रंथों में भी छठ का उल्लेख

मिथिला के प्रसिद्ध निबंधकार चंडेश्वर ने 1,300 ईस्वी में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक कृत्य रत्नाकर में महापर्व छठ का उल्लेख किया है। उसके बाद मिथिला के दूसरे बड़े निबंधकार रूद्रधर ने 15वीं शताब्दी में कृत्य ग्रंथ में चार दिवसीय छठ पर्व का विधान विस्तृत रूप से दिया है। यह वर्णन ऐसा ही है जैसा आज हम लोग छठ पर्व मनाते हैं। इस प्रकार पिछले 700 वर्षों से यह विवरण मिलता है, जिसके अनुसार आज का छठ व्रत मनाया जाता है।1,300 ईसवी के पहले चंदेश्वर ने छठ व्रत के ऊपर प्रकाश डाला। 1285 ईसवी में हेमाद्री ने चतुवर्ग चिंतामणी ग्रंथ में और 1,130 ईसवी के आसपास लक्ष्मीधर ने कृत्य कल्पतरु में सूर्योपासना एवं षष्ठी व्रत का विधान बताया है। लक्ष्मीधर गहड़वाल वंश के प्रसिद्ध शासक गोविंद चंद्र के प्रमुख मंत्री और सेनापति थे।

क्यों छठ पर्व में सूर्य को अर्घ्य देकर की जाती है पूजा ?

उल्लेखनीय है कि छठ व्रत सनातन धर्मावलंबियों का अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। इस महापर्व पर भगवान भास्कर और छठी मैया की पूजा-अर्चना होती है। सूर्य की उपासना का यह सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। प्रत्येक मास की सप्तमी तिथि विशेषकर शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि सूर्य भगवान की तिथि मानी जाती है और इस दिन इनकी उपासना का विधान है। इसके साथ ही कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि सबसे पावन तिथि मानी जाती है। इसी कारण सूर्य भगवान की पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष में सप्तमी के दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की जाती है।

छठी मैया कौन-सी देवी हैं ?

चार दिनों का यह व्रत नहाए खाए, खरना, अस्तगामी सूर्य और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी पूजा की जाती है। यह तथ्य तो सभी लोगों को पता है, लेकिन छठी मैया की जो पूजा होती है, उसमें छठी मैया कौन देवी हैं, इसका ज्ञान बहुत से लोगों को नहीं है। इसमें मैंने बहुत अनुसंधान किया तो पाया कि छठी मैया वास्तव में स्कंदमाता (पार्वती जी) हैं।

सूर्य भगवान की पूजा वैदिक काल से ही देश में प्रचलित है। सूर्य भगवान के मंदिर इस देश के बाहर भी बहुत सारे स्थानों पर बने हुए थे, जिसमें मुल्तान (पाकिस्तान) का भव्य सूर्य मंदिर भी है, जिसका वर्णन अलबरूनी ने किया है। इस मंदिर को मोहम्मद गजनवी ने तोड़ा था। इसी प्रकार काबुल के पास खैर कन्हेर में सूर्य भगवान का प्रसिद्ध मंदिर था, जिसे मोहम्मद गजनवी ने तोड़ा था, किंतु 1936 में खुदाई हुई तो इसमें बहुत सारे देवताओं की मूर्तियां साबुत पाई गई हैं। इसमें सूर्य भगवान की भव्य मूर्ति है, जो अभी काबुल के म्यूजियम में सुरक्षित है। भारत का राष्ट्रीय त्यौहार कौन सा है?

गांधी जयंती, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस देश में मनाए जाने वाले तीन राष्ट्रीय पर्व हैं। भारत सरकार ने देश के राष्ट्रीय पर्वो पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया है।

भारत में कितने राष्ट्रीय त्यौहार हैं?

भारत, सांस्कृतिक रूप से विविध समाज होने के नाते, कई छुट्टियों और त्योहारों को मनाता है, लेकिन केवल तीन राष्ट्रीय त्यौहार हैं: गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), और गांधी जयंती (2 अक्टूबर)।

बिहार का राष्ट्रीय पर्व क्या है?

छठ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। लगभग सभी सभ्यताओं में 'सूर्य देवता' की पूजा का एक पर्व है, लेकिन बिहार में इसका एक अनूठा रूप है।

राष्ट्रीय पर्व दिवस कब मनाया जाता है?

प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पूरे देश में राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति देश की जनता के नाम संदेश प्रसारित करते हैं।