राजा ने राजकुमारियों को गेहूं के कितने दाने दिए? - raaja ne raajakumaariyon ko gehoon ke kitane daane die?

२. वारिस कौन? - विभा रानी एक राजा था । उसके चार बेटियाँ थीं । राजा ने सोचा कि इन चारों में से जो सबसे बुद्‌धिमती होगी, उसे ही अपना राजपाट सौंपेगा । इसका फैसला कैसे हो? वह सोचने लगा । अंत में उसे एक उपाय सूझ गया । उसने एक दिन चारों बेटियों को अपने पास बुलाया । सभी को गेहँू के सौ-सौ दाने दिए और कहा, ‘‘इसे तुम अपने पास रखो, पाँच साल बाद मैं जब इन्हें माँगँूगा तब तुम सब मुझे वापस कर देना ।’’ गेहँू के दाने लेकर चारों बहनें अपने-अपने कमरे में लौट आईं । बड़ी बहन ने उन दानों को खिड़की के बाहर फेंक दिया । उसने सोचा, ‘आज से पाँच साल बाद पिता जी को गेहँू के इन दानों की याद रहेगी क्या? और जो याद भी रहा तो क्या हुआ..., भंडार से लेकर दे दूँगी ।’ दूसरी बहन ने दानों को चाँदी की एक डिब्बी में डालकर उसे मखमल के थैले में बंद करके सुरक्षा से अपनी संदूकची में डाल दिया । सोचा, ‘पाँच साल बाद जब पिता जी ये दाने माँगेंगे, तब उन्हें वापस कर दूँगी ।’ तीसरी बहन बस सोचती रही कि इसका क्या करूँ । चौथी और छोटी बहन तनिक बच्ची थी । शरारतें करना उसे बहुत पसंद था । उसे गेहँू के भुने दाने भी बहुत पसंद थे । उसने दानों को भुनवाकर खा डाला और खेल में मग्न हो गई । तीसरी राजकुमारी को इस बात का यकीन था कि पिता जी ने उन्हें यँू ही ये दाने नहीं दिए होंगे । जरूर इसके पीछे कोई मकसद होगा । पहले तो उसने भी अपनी दूसरी बहनों की तरह ही उन्हें सहेजकर रख देने की सोची, लेकिन वह ऐसा न कर सकी । दो-तीन दिनों तक वह सोचती रही, फिर उसने अपने कमरे की खिड़की के पीछेवाली जमीन में वे दाने बो दिए । समय पर अंकुर फूटे । पौधे तैयार हुए, दाने निकले । राजकुमारी ने तैयार फसल में से दाने निकाले और फिर से बो दिए । इस तरह पाँच वर्षों में उसके पास ढेर सारा गेहँू तैयार हो गया । पाँच साल बाद राजा ने फिर चारों बहनों को बुलाया और कहा‘‘आज से पाँच साल पहले मैंने तुम चारों को गेहँू के सौ-सौ दाने दिए थे और कहा था कि पाँच साल बाद मुझे वापस करना । कहाँ हैं वे दाने?’’ बड़ी राजकुमारी भंडार घर जाकर गेहँू के दाने ले आई और राजा को दे दिए । राजा ने पूछा, ‘‘क्या ये वही दाने हैं जो मैंने तुम्हें दिए थे ?’’

परिचय जन्म ः १९5९, मधुबनी (बिहार) परिचय ः बहुआयामी प्रतिभा की धनी विभा रानी हिंदी व मैथिली की राष्‍ट्रीय स्‍तर की लेखिका हैं । आपने कहानी, गीत, अनुवाद, लोक साहित्‍य एवं नाट्‌य लेखन में प्रखरता से अपनी कलम चलाई है । आप समकालीन फिल्‍म, महिला व बाल विषयों पर लोकगीत और लोक साहित्‍य के क्षेत्र में निरंतर काम कर रही है । प्रमुख कृतियाँ ः ‘चल खुसरो घर अपने’, ‘मिथिला की लोककथाएँ’, ‘गोनू झा के किस्‍से’ (कहानी संग्रह), ‘अगलेजन्म मोहे बिटिया न कीजो’, (नाटक)‘समरथ-CAN’ (द्व‌िभाषी हिंदी-अंग्रेजी का अनुवाद), ‘बिल टेलर की डायरी’ आदि ।

गद्‌य संबंधी प्रस्तुत संवादात्‍मक कहानी के माध्यम से विभा रानी जी का कहना है कि हमें उत्‍तम फल प्राप्त करने के लिए समय और साधनों का सदुपयोग करना चाहिए । जो ऐसा करता है, वही जीवन में सफल होता है ।

मौलिक सृजन अपने आस-पास घटित चतुराई से संबंधित घटना लिखो ।

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संभाषणीय ‘उत्‍तर भारत की नदियों में बारहों मास पानी रहता है’ इसके कारणों की जानकारी प्राप्त करके कक्षा में बताओ ।

श्रवणीय भाषा की भिन्नता का आदर करते हुए कोई लोकगीत अपने सहपाठियों को सुनाओ ।

पठनीय अपने परिसर की किसी शैक्षिक संस्‍था की रजत महोत्‍सवी पत्रिका का वाचन करो ।

लेखनीय मराठी समाचार पत्र या बालपत्रिका के किसी परिच्छेद का हिंदी में अनुवाद करो ।

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पहले तो राजकुमारी ने ‘हाँ’ कह दिया । मगर राजा ने फिर कड़ककर पूछा, तब उसने सच्ची बात बता दी । राजा ने दूसरी राजकुमारी से पूछा - ‘‘तुम्हारे दाने कहॉं हैं ?’’ दूसरी राजकुमारी अपनी संदूकची में से मखमल के खोलवाली डिब्बी उठा लाई, जिसमें उसने गेहँू के दाने सहेजकर रखे थे । राजा ने उसे खोलकर देखा - दाने सड़ गए थे । तीसरी राजकुमारी से पूछा - ‘‘तुमने क्या किया उन दानों का ?’’ तीसरी ने कहा - ‘‘मैं इसका उत्तर आपको अभी नहीं दँूगी, क्योंकि जवाब पाने के लिए आपको यहाँ से दूर जाना पड़ेगा और मैं वहाँ आपको कल ले चलँूगी ।’’ राजा ने अब चौथी और सबसे छोटी राजकुमारी से पूछा । उसने उसी बेपरवाही से जवाब दिया-‘‘उन दानों की कोई कीमत है पिता जी? वैसे तो ढेरों दाने भंडार में पड़े हैं । आप तो जानते हैं न, मुझे गेहँू के भुने दाने बहुत अच्छे लगते हैं, सो मैं उन्हें भुनवाकर खा गई । आप भी पिता जी, किन-किन चक्करों में पड़ जाते हैं ।’’ सभी के उत्तर से राजा को बड़ी निराशा हुई । चारों में से अब उसे केवल तीसरी बेटी से ही थोड़ी उम्मीद थी । दूसरे दिन तीसरी राजकुमारी राजा के पास आई । उसने कहा‘‘चलिए पिता जी, आपको मैं दिखाऊँ कि गेहँू के वे दाने कहाँ हैं ?’’ राजा रथ पर सवार हो गया । रथ महल, नगर पार करके खेत की तरफ बढ़ चला । राजा ने पूछा, ‘‘आखिर कहाँ रख छोड़े हैं तुमने वे सौ दाने ? इन सौ दानों के लिए तुम मुझे कहाँ-कहाँ के चक्कर लगवाओगी ?’’ तब तक रथ एक बड़े-से हरे-भरे खेत के सामने आकर रुक गया । राजा ने देखा - सामने बहुत बड़े खेत में गेहँू की फसल थी । उसकी बालियाँ हवा में झूम रही थीं, जैसे राजा को कोई खुशी भरा गीत सुना रही हों । राजा ने हैरानी से राजकुमारी की ओर देखा । राजकुमारी ने कहा‘‘पिता जी, ये हैं वे सौ दाने, जो आज लाखों-लाख दानों के रूप में आपके सामने हैं । मैंने उन सौ दानों को बोकर इतनी अधिक फसल तैयार की है ।’’ राजा ने उसे गले लगा लिया और कहा- ‘‘अब मैं निश्चिंत हो गया । तुम ही मेरे राज्य की सच्ची उत्तराधिकारी हो ।’’

तनिक = थोड़ा मकसद = उद्‌देश्य खोल = आवरण उम्‍मीद =आशा उत्‍तराधिकारी = वारिस * सूचना के अनुसार कृतियाँ करो ः(१) उत्‍तर लिखो ः गेहूँ के दानों का चारों बहनों ने किया-

शब्‍द वाटिका मुहावरे

चक्‍कर में पड़ जाना =दुविधा में पड़ना गले लगाना = प्यार से मिलना

(२) उचित घटनाक्रम लगाकर वाक्‍य फिर से लिखो ः १. सभी के उत्‍तर से राजा को बड़ी निराशा हुई । २. रथ एक बड़े-से हरे-भरे खेत के सामने रुक गया । ३. राजा ने हैरानी से राजकुमारी की ओर देखा । 4. अंत में उसे एक उपाय सूझ गया ।

(३) सही विकल्‍प चुनकर वाक्‍य फिर से लिखो ः १. जरूर इसके पीछे कोई ------- होगा । (उद्‌देश्य/हेतु/मकसद) २. सो मैं उन्हें ------- खा गई । (भिगोकर/भुनवाकर/पकाकर) ३. तुम ही मेरे राज्‍य की सच्ची ------- हो । (रानी/युवराज्ञी/उत्‍तराधिकारी) 4. इसे तुम अपने पास रखो, ------- साल बाद मैं इन्हें माँगूँगा । (चार/सात/पाँच) (4) परिणाम लिखो ः १. गेहूँ के दानों को बोने का परिणाम- २. सभी के उत्‍तर सुनकर राजा पर हुआ परिणाम३. दूसरी राजकुमारी का संदूकची में दाने रखने का परिणाम- 4. पहली राजकुमारी को कड़ककर पूछने का परिणाम -

भाषा बिंदु

रचना के आधार पर विभिन्न प्रकार के तीन-तीन वाक्‍य पाठों से ढूँढ़कर लिखो ।

उपयोजित लेखन

अपने मित्र/सहेली को दीपावली की छुट्‌टियों में अपने घर निमंत्रित करने वाला पत्र लिखो ।

मैनं े समझा

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राजा ने चारों बेटियों को क्या दिया?

उत्तर : (१) सरल वाक्य (१) पाँच साल बाद राजा ने चारों बहनों को बुलाया । बड़ी बहन ने दानों को खिड़की के बाहर फेंक दिया। दूसरी बहन ने दानों को चाँदी की डिब्बी में मखमल के थैले में रखा।

बड़ी राजकुमारी कहाँ से गेहूँ के दाने लेकर आई?

Question 2. बड़ी राजकुमारी खेत में जाकर गेहूँ के दाने लेकर आई। Answer: बड़ी राजकुमारी भंडार घर में जाकर गेहूँ के दाने लेकर आईं।

चारों राजकुमारी में से किस राजकुमारी का जवाब आपको अच्छा लगा और क्यों?

Question 1. चारों राजकुमारी में से किस राजकुमारी का जवाब आपको अच्छा लगा और क्यों? Answer: चारों राजकुमारी में से तीसरी राजकुमारी का जवाब मुझे अच्छा लगा क्योंकि उसके जवाब में थोड़ी उम्मीद थी।

दूसरे दिन तीसरी राजकुमारी ने राजा के पास आकर क्या कहा?

दूसरे दिन तीसरी राजकुमारी राजा के पास आई । उसने कहा- ''चलिए पिता जी, आपको मैं दि खाऊँ कि गेहँू के वे दाने कहाँ हैं ?'' राजा रथ पर सवार हो गया । रथ महल, नगर पार करके खेत की तरफ बढ़ चला ।